Thursday, December 13, 2012

नैतिक शिक्षा

नैतिक शिक्षा से ही बच्चों का सर्वागीण विकास

Nov 28, 02:45 am
सहारनपुर: प्रजापिता ब्रह्मकुमारी ईश्वरीय विश्वविद्यालय मुख्यालय माउंट आबू के राजयोगी ब्रह्मकुमार भगवान भाई ने कहा कि बच्चों के सर्वागीण विकास के लिए भौतिक शिक्षा के साथ साथ नैतिक शिक्षा की भी आवश्यकता है। नैतिक शिक्षा से ही बच्चों का सर्वागीण विकास संभव है।
राजयोगी भगवान भाई ने केसीसीपीटी आर्य कन्या इंटर कालेज में छात्राओं को नैतिक शिक्षा का जीवन में महत्व बताते हुए कहा कि शैक्षिक जगत में विद्यार्थियों को नैतिक मूल्यों को जीवन में धारण करने की प्रेरणा देना आज की आवश्यकता है। नैतिक मूल्यों की कमी व्यक्तिगत, सामाजिक, पारिवारिक, राष्ट्रीय एवं अंतर्राष्ट्रीय समस्याओं का मूल कारण है। विद्यार्थियों का मूल्यांकन आचरण, अनुसरण, लेखन, व्यावहारिक ज्ञान एवं अन्य की तरफ प्रेरणा देने की आवश्यकता है। ज्ञान की व्याख्या करते हुए उन्होंने कहा कि जो शिक्षा विद्यार्थियों को अंधकार से प्रकाश तथा असत्य से सत्य व बंधनों से मुक्ति की ओर ले जाएं सच्ची शिक्षा है। समाज अमूर्त है और प्रेम, सदभावना, भाईचारा,नैतिकता एवं मानवीय मूल्यों से ही संचालित होता है। एक प्रगतिशील एवं श्रेष्ठ समाज इन्हीं मूल्यों से परिभाषित होता है। शैक्षिक जगत से ही समाज के आधारभूत ढांचे का निर्माण होता है। राजयोगी ने कहा कि शिक्षा ऐसा बीज है जिससे जीवन फलदार वृक्ष बन जाता है। जब तक व्यवहारिक जीवन में सेवाभाव, परोपकार, धैर्य, त्याग, उदारता, नम्रता, सहनशीलता, सत्यता, पवित्रता आदि सदगुणी फल नही आते तब तक हमारी शिक्षा अधूरी है। व्यक्तिगत अच्छा व बुरा व्यक्ति अपने अंदर के गुणों से बनता है। गुणवान, चरित्रवान व्यक्ति सभी को प्रिय होता है। राजयोग ब्रह्मकुमारी केन्द्र संचालिका ब्रह्मकुमारी उर्मिला बहन ने कहा कि कुसंग, सिनेमा, व्यसन, फैशन से युवा भटकता है। चरित्र व गुणवान बच्चे देश व समाज की संपत्ति है। कार्यक्रम को प्रधानाचार्य सुशीला देवी, पंकज भाई ने भी संबोधित किया। इस अवसर पर ब्रह्मकुमारी सिम्मी बहन, सुषमा जग्गा, रोशन, हरिन्द्र, राकेश शर्मा, आदि का योगदान रहा।

नैतिक शिक्षा

नैतिक शिक्षा से ही बच्चों का सर्वागीण विकास

Nov 28, 02:45 am
सहारनपुर: प्रजापिता ब्रह्मकुमारी ईश्वरीय विश्वविद्यालय मुख्यालय माउंट आबू के राजयोगी ब्रह्मकुमार भगवान भाई ने कहा कि बच्चों के सर्वागीण विकास के लिए भौतिक शिक्षा के साथ साथ नैतिक शिक्षा की भी आवश्यकता है। नैतिक शिक्षा से ही बच्चों का सर्वागीण विकास संभव है।
राजयोगी भगवान भाई ने केसीसीपीटी आर्य कन्या इंटर कालेज में छात्राओं को नैतिक शिक्षा का जीवन में महत्व बताते हुए कहा कि शैक्षिक जगत में विद्यार्थियों को नैतिक मूल्यों को जीवन में धारण करने की प्रेरणा देना आज की आवश्यकता है। नैतिक मूल्यों की कमी व्यक्तिगत, सामाजिक, पारिवारिक, राष्ट्रीय एवं अंतर्राष्ट्रीय समस्याओं का मूल कारण है। विद्यार्थियों का मूल्यांकन आचरण, अनुसरण, लेखन, व्यावहारिक ज्ञान एवं अन्य की तरफ प्रेरणा देने की आवश्यकता है। ज्ञान की व्याख्या करते हुए उन्होंने कहा कि जो शिक्षा विद्यार्थियों को अंधकार से प्रकाश तथा असत्य से सत्य व बंधनों से मुक्ति की ओर ले जाएं सच्ची शिक्षा है। समाज अमूर्त है और प्रेम, सदभावना, भाईचारा,नैतिकता एवं मानवीय मूल्यों से ही संचालित होता है। एक प्रगतिशील एवं श्रेष्ठ समाज इन्हीं मूल्यों से परिभाषित होता है। शैक्षिक जगत से ही समाज के आधारभूत ढांचे का निर्माण होता है। राजयोगी ने कहा कि शिक्षा ऐसा बीज है जिससे जीवन फलदार वृक्ष बन जाता है। जब तक व्यवहारिक जीवन में सेवाभाव, परोपकार, धैर्य, त्याग, उदारता, नम्रता, सहनशीलता, सत्यता, पवित्रता आदि सदगुणी फल नही आते तब तक हमारी शिक्षा अधूरी है। व्यक्तिगत अच्छा व बुरा व्यक्ति अपने अंदर के गुणों से बनता है। गुणवान, चरित्रवान व्यक्ति सभी को प्रिय होता है। राजयोग ब्रह्मकुमारी केन्द्र संचालिका ब्रह्मकुमारी उर्मिला बहन ने कहा कि कुसंग, सिनेमा, व्यसन, फैशन से युवा भटकता है। चरित्र व गुणवान बच्चे देश व समाज की संपत्ति है। कार्यक्रम को प्रधानाचार्य सुशीला देवी, पंकज भाई ने भी संबोधित किया। इस अवसर पर ब्रह्मकुमारी सिम्मी बहन, सुषमा जग्गा, रोशन, हरिन्द्र, राकेश शर्मा, आदि का योगदान रहा।

नैतिक शिक्षा

नैतिक शिक्षा से ही बच्चों का सर्वागीण विकास

Nov 28, 02:45 am
सहारनपुर: प्रजापिता ब्रह्मकुमारी ईश्वरीय विश्वविद्यालय मुख्यालय माउंट आबू के राजयोगी ब्रह्मकुमार भगवान भाई ने कहा कि बच्चों के सर्वागीण विकास के लिए भौतिक शिक्षा के साथ साथ नैतिक शिक्षा की भी आवश्यकता है। नैतिक शिक्षा से ही बच्चों का सर्वागीण विकास संभव है।
राजयोगी भगवान भाई ने केसीसीपीटी आर्य कन्या इंटर कालेज में छात्राओं को नैतिक शिक्षा का जीवन में महत्व बताते हुए कहा कि शैक्षिक जगत में विद्यार्थियों को नैतिक मूल्यों को जीवन में धारण करने की प्रेरणा देना आज की आवश्यकता है। नैतिक मूल्यों की कमी व्यक्तिगत, सामाजिक, पारिवारिक, राष्ट्रीय एवं अंतर्राष्ट्रीय समस्याओं का मूल कारण है। विद्यार्थियों का मूल्यांकन आचरण, अनुसरण, लेखन, व्यावहारिक ज्ञान एवं अन्य की तरफ प्रेरणा देने की आवश्यकता है। ज्ञान की व्याख्या करते हुए उन्होंने कहा कि जो शिक्षा विद्यार्थियों को अंधकार से प्रकाश तथा असत्य से सत्य व बंधनों से मुक्ति की ओर ले जाएं सच्ची शिक्षा है। समाज अमूर्त है और प्रेम, सदभावना, भाईचारा,नैतिकता एवं मानवीय मूल्यों से ही संचालित होता है। एक प्रगतिशील एवं श्रेष्ठ समाज इन्हीं मूल्यों से परिभाषित होता है। शैक्षिक जगत से ही समाज के आधारभूत ढांचे का निर्माण होता है। राजयोगी ने कहा कि शिक्षा ऐसा बीज है जिससे जीवन फलदार वृक्ष बन जाता है। जब तक व्यवहारिक जीवन में सेवाभाव, परोपकार, धैर्य, त्याग, उदारता, नम्रता, सहनशीलता, सत्यता, पवित्रता आदि सदगुणी फल नही आते तब तक हमारी शिक्षा अधूरी है। व्यक्तिगत अच्छा व बुरा व्यक्ति अपने अंदर के गुणों से बनता है। गुणवान, चरित्रवान व्यक्ति सभी को प्रिय होता है। राजयोग ब्रह्मकुमारी केन्द्र संचालिका ब्रह्मकुमारी उर्मिला बहन ने कहा कि कुसंग, सिनेमा, व्यसन, फैशन से युवा भटकता है। चरित्र व गुणवान बच्चे देश व समाज की संपत्ति है। कार्यक्रम को प्रधानाचार्य सुशीला देवी, पंकज भाई ने भी संबोधित किया। इस अवसर पर ब्रह्मकुमारी सिम्मी बहन, सुषमा जग्गा, रोशन, हरिन्द्र, राकेश शर्मा, आदि का योगदान रहा।

नैतिक शिक्षा

नैतिक शिक्षा से ही बच्चों का सर्वागीण विकास

Nov 28, 02:45 am
सहारनपुर: प्रजापिता ब्रह्मकुमारी ईश्वरीय विश्वविद्यालय मुख्यालय माउंट आबू के राजयोगी ब्रह्मकुमार भगवान भाई ने कहा कि बच्चों के सर्वागीण विकास के लिए भौतिक शिक्षा के साथ साथ नैतिक शिक्षा की भी आवश्यकता है। नैतिक शिक्षा से ही बच्चों का सर्वागीण विकास संभव है।
राजयोगी भगवान भाई ने केसीसीपीटी आर्य कन्या इंटर कालेज में छात्राओं को नैतिक शिक्षा का जीवन में महत्व बताते हुए कहा कि शैक्षिक जगत में विद्यार्थियों को नैतिक मूल्यों को जीवन में धारण करने की प्रेरणा देना आज की आवश्यकता है। नैतिक मूल्यों की कमी व्यक्तिगत, सामाजिक, पारिवारिक, राष्ट्रीय एवं अंतर्राष्ट्रीय समस्याओं का मूल कारण है। विद्यार्थियों का मूल्यांकन आचरण, अनुसरण, लेखन, व्यावहारिक ज्ञान एवं अन्य की तरफ प्रेरणा देने की आवश्यकता है। ज्ञान की व्याख्या करते हुए उन्होंने कहा कि जो शिक्षा विद्यार्थियों को अंधकार से प्रकाश तथा असत्य से सत्य व बंधनों से मुक्ति की ओर ले जाएं सच्ची शिक्षा है। समाज अमूर्त है और प्रेम, सदभावना, भाईचारा,नैतिकता एवं मानवीय मूल्यों से ही संचालित होता है। एक प्रगतिशील एवं श्रेष्ठ समाज इन्हीं मूल्यों से परिभाषित होता है। शैक्षिक जगत से ही समाज के आधारभूत ढांचे का निर्माण होता है। राजयोगी ने कहा कि शिक्षा ऐसा बीज है जिससे जीवन फलदार वृक्ष बन जाता है। जब तक व्यवहारिक जीवन में सेवाभाव, परोपकार, धैर्य, त्याग, उदारता, नम्रता, सहनशीलता, सत्यता, पवित्रता आदि सदगुणी फल नही आते तब तक हमारी शिक्षा अधूरी है। व्यक्तिगत अच्छा व बुरा व्यक्ति अपने अंदर के गुणों से बनता है। गुणवान, चरित्रवान व्यक्ति सभी को प्रिय होता है। राजयोग ब्रह्मकुमारी केन्द्र संचालिका ब्रह्मकुमारी उर्मिला बहन ने कहा कि कुसंग, सिनेमा, व्यसन, फैशन से युवा भटकता है। चरित्र व गुणवान बच्चे देश व समाज की संपत्ति है। कार्यक्रम को प्रधानाचार्य सुशीला देवी, पंकज भाई ने भी संबोधित किया। इस अवसर पर ब्रह्मकुमारी सिम्मी बहन, सुषमा जग्गा, रोशन, हरिन्द्र, राकेश शर्मा, आदि का योगदान रहा।

नैतिक शिक्षा से ही बच्चों का सर्वागीण

नैतिक शिक्षा से ही बच्चों का सर्वागीण विकास

Nov 28, 02:45 am
सहारनपुर: प्रजापिता ब्रह्मकुमारी ईश्वरीय विश्वविद्यालय मुख्यालय माउंट आबू के राजयोगी ब्रह्मकुमार भगवान भाई ने कहा कि बच्चों के सर्वागीण विकास के लिए भौतिक शिक्षा के साथ साथ नैतिक शिक्षा की भी आवश्यकता है। नैतिक शिक्षा से ही बच्चों का सर्वागीण विकास संभव है।
राजयोगी भगवान भाई ने केसीसीपीटी आर्य कन्या इंटर कालेज में छात्राओं को नैतिक शिक्षा का जीवन में महत्व बताते हुए कहा कि शैक्षिक जगत में विद्यार्थियों को नैतिक मूल्यों को जीवन में धारण करने की प्रेरणा देना आज की आवश्यकता है। नैतिक मूल्यों की कमी व्यक्तिगत, सामाजिक, पारिवारिक, राष्ट्रीय एवं अंतर्राष्ट्रीय समस्याओं का मूल कारण है। विद्यार्थियों का मूल्यांकन आचरण, अनुसरण, लेखन, व्यावहारिक ज्ञान एवं अन्य की तरफ प्रेरणा देने की आवश्यकता है। ज्ञान की व्याख्या करते हुए उन्होंने कहा कि जो शिक्षा विद्यार्थियों को अंधकार से प्रकाश तथा असत्य से सत्य व बंधनों से मुक्ति की ओर ले जाएं सच्ची शिक्षा है। समाज अमूर्त है और प्रेम, सदभावना, भाईचारा,नैतिकता एवं मानवीय मूल्यों से ही संचालित होता है। एक प्रगतिशील एवं श्रेष्ठ समाज इन्हीं मूल्यों से परिभाषित होता है। शैक्षिक जगत से ही समाज के आधारभूत ढांचे का निर्माण होता है। राजयोगी ने कहा कि शिक्षा ऐसा बीज है जिससे जीवन फलदार वृक्ष बन जाता है। जब तक व्यवहारिक जीवन में सेवाभाव, परोपकार, धैर्य, त्याग, उदारता, नम्रता, सहनशीलता, सत्यता, पवित्रता आदि सदगुणी फल नही आते तब तक हमारी शिक्षा अधूरी है। व्यक्तिगत अच्छा व बुरा व्यक्ति अपने अंदर के गुणों से बनता है। गुणवान, चरित्रवान व्यक्ति सभी को प्रिय होता है। राजयोग ब्रह्मकुमारी केन्द्र संचालिका ब्रह्मकुमारी उर्मिला बहन ने कहा कि कुसंग, सिनेमा, व्यसन, फैशन से युवा भटकता है। चरित्र व गुणवान बच्चे देश व समाज की संपत्ति है। कार्यक्रम को प्रधानाचार्य सुशीला देवी, पंकज भाई ने भी संबोधित किया। इस अवसर पर ब्रह्मकुमारी सिम्मी बहन, सुषमा जग्गा, रोशन, हरिन्द्र, राकेश शर्मा, आदि का योगदान रहा।

नैतिक शिक्षा का जीवन

नैतिक शिक्षा से ही बच्चों का सर्वागीण विकास

Nov 28, 02:45 am
सहारनपुर: प्रजापिता ब्रह्मकुमारी ईश्वरीय विश्वविद्यालय मुख्यालय माउंट आबू के राजयोगी ब्रह्मकुमार भगवान भाई ने कहा कि बच्चों के सर्वागीण विकास के लिए भौतिक शिक्षा के साथ साथ नैतिक शिक्षा की भी आवश्यकता है। नैतिक शिक्षा से ही बच्चों का सर्वागीण विकास संभव है।
राजयोगी भगवान भाई ने केसीसीपीटी आर्य कन्या इंटर कालेज में छात्राओं को नैतिक शिक्षा का जीवन में महत्व बताते हुए कहा कि शैक्षिक जगत में विद्यार्थियों को नैतिक मूल्यों को जीवन में धारण करने की प्रेरणा देना आज की आवश्यकता है। नैतिक मूल्यों की कमी व्यक्तिगत, सामाजिक, पारिवारिक, राष्ट्रीय एवं अंतर्राष्ट्रीय समस्याओं का मूल कारण है। विद्यार्थियों का मूल्यांकन आचरण, अनुसरण, लेखन, व्यावहारिक ज्ञान एवं अन्य की तरफ प्रेरणा देने की आवश्यकता है। ज्ञान की व्याख्या करते हुए उन्होंने कहा कि जो शिक्षा विद्यार्थियों को अंधकार से प्रकाश तथा असत्य से सत्य व बंधनों से मुक्ति की ओर ले जाएं सच्ची शिक्षा है। समाज अमूर्त है और प्रेम, सदभावना, भाईचारा,नैतिकता एवं मानवीय मूल्यों से ही संचालित होता है। एक प्रगतिशील एवं श्रेष्ठ समाज इन्हीं मूल्यों से परिभाषित होता है। शैक्षिक जगत से ही समाज के आधारभूत ढांचे का निर्माण होता है। राजयोगी ने कहा कि शिक्षा ऐसा बीज है जिससे जीवन फलदार वृक्ष बन जाता है। जब तक व्यवहारिक जीवन में सेवाभाव, परोपकार, धैर्य, त्याग, उदारता, नम्रता, सहनशीलता, सत्यता, पवित्रता आदि सदगुणी फल नही आते तब तक हमारी शिक्षा अधूरी है। व्यक्तिगत अच्छा व बुरा व्यक्ति अपने अंदर के गुणों से बनता है। गुणवान, चरित्रवान व्यक्ति सभी को प्रिय होता है। राजयोग ब्रह्मकुमारी केन्द्र संचालिका ब्रह्मकुमारी उर्मिला बहन ने कहा कि कुसंग, सिनेमा, व्यसन, फैशन से युवा भटकता है। चरित्र व गुणवान बच्चे देश व समाज की संपत्ति है। कार्यक्रम को प्रधानाचार्य सुशीला देवी, पंकज भाई ने भी संबोधित किया। इस अवसर पर ब्रह्मकुमारी सिम्मी बहन, सुषमा जग्गा, रोशन, हरिन्द्र, राकेश शर्मा, आदि का योगदान रहा।

नैतिक शिक्षा का जीवन

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सहारनपुर: प्रजापिता ब्रह्मकुमारी ईश्वरीय विश्वविद्यालय मुख्यालय माउंट आबू के राजयोगी ब्रह्मकुमार भगवान भाई ने कहा कि बच्चों के सर्वागीण विकास के लिए भौतिक शिक्षा के साथ साथ नैतिक शिक्षा की भी आवश्यकता है। नैतिक शिक्षा से ही बच्चों का सर्वागीण विकास संभव है।
राजयोगी भगवान भाई ने केसीसीपीटी आर्य कन्या इंटर कालेज में छात्राओं को नैतिक शिक्षा का जीवन में महत्व बताते हुए कहा कि शैक्षिक जगत में विद्यार्थियों को नैतिक मूल्यों को जीवन में धारण करने की प्रेरणा देना आज की आवश्यकता है। नैतिक मूल्यों की कमी व्यक्तिगत, सामाजिक, पारिवारिक, राष्ट्रीय एवं अंतर्राष्ट्रीय समस्याओं का मूल कारण है। विद्यार्थियों का मूल्यांकन आचरण, अनुसरण, लेखन, व्यावहारिक ज्ञान एवं अन्य की तरफ प्रेरणा देने की आवश्यकता है। ज्ञान की व्याख्या करते हुए उन्होंने कहा कि जो शिक्षा विद्यार्थियों को अंधकार से प्रकाश तथा असत्य से सत्य व बंधनों से मुक्ति की ओर ले जाएं सच्ची शिक्षा है। समाज अमूर्त है और प्रेम, सदभावना, भाईचारा,नैतिकता एवं मानवीय मूल्यों से ही संचालित होता है। एक प्रगतिशील एवं श्रेष्ठ समाज इन्हीं मूल्यों से परिभाषित होता है। शैक्षिक जगत से ही समाज के आधारभूत ढांचे का निर्माण होता है। राजयोगी ने कहा कि शिक्षा ऐसा बीज है जिससे जीवन फलदार वृक्ष बन जाता है। जब तक व्यवहारिक जीवन में सेवाभाव, परोपकार, धैर्य, त्याग, उदारता, नम्रता, सहनशीलता, सत्यता, पवित्रता आदि सदगुणी फल नही आते तब तक हमारी शिक्षा अधूरी है। व्यक्तिगत अच्छा व बुरा व्यक्ति अपने अंदर के गुणों से बनता है। गुणवान, चरित्रवान व्यक्ति सभी को प्रिय होता है। राजयोग ब्रह्मकुमारी केन्द्र संचालिका ब्रह्मकुमारी उर्मिला बहन ने कहा कि कुसंग, सिनेमा, व्यसन, फैशन से युवा भटकता है। चरित्र व गुणवान बच्चे देश व समाज की संपत्ति है। कार्यक्रम को प्रधानाचार्य सुशीला देवी, पंकज भाई ने भी संबोधित किया। इस अवसर पर ब्रह्मकुमारी सिम्मी बहन, सुषमा जग्गा, रोशन, हरिन्द्र, राकेश शर्मा, आदि का योगदान रहा।

नैतिक शिक्षा से ही बच्चों का सर्वागीण विकास

नैतिक शिक्षा से ही बच्चों का सर्वागीण विकास

Nov 28, 02:45 am
सहारनपुर: प्रजापिता ब्रह्मकुमारी ईश्वरीय विश्वविद्यालय मुख्यालय माउंट आबू के राजयोगी ब्रह्मकुमार भगवान भाई ने कहा कि बच्चों के सर्वागीण विकास के लिए भौतिक शिक्षा के साथ साथ नैतिक शिक्षा की भी आवश्यकता है। नैतिक शिक्षा से ही बच्चों का सर्वागीण विकास संभव है।
राजयोगी भगवान भाई ने केसीसीपीटी आर्य कन्या इंटर कालेज में छात्राओं को नैतिक शिक्षा का जीवन में महत्व बताते हुए कहा कि शैक्षिक जगत में विद्यार्थियों को नैतिक मूल्यों को जीवन में धारण करने की प्रेरणा देना आज की आवश्यकता है। नैतिक मूल्यों की कमी व्यक्तिगत, सामाजिक, पारिवारिक, राष्ट्रीय एवं अंतर्राष्ट्रीय समस्याओं का मूल कारण है। विद्यार्थियों का मूल्यांकन आचरण, अनुसरण, लेखन, व्यावहारिक ज्ञान एवं अन्य की तरफ प्रेरणा देने की आवश्यकता है। ज्ञान की व्याख्या करते हुए उन्होंने कहा कि जो शिक्षा विद्यार्थियों को अंधकार से प्रकाश तथा असत्य से सत्य व बंधनों से मुक्ति की ओर ले जाएं सच्ची शिक्षा है। समाज अमूर्त है और प्रेम, सदभावना, भाईचारा,नैतिकता एवं मानवीय मूल्यों से ही संचालित होता है। एक प्रगतिशील एवं श्रेष्ठ समाज इन्हीं मूल्यों से परिभाषित होता है। शैक्षिक जगत से ही समाज के आधारभूत ढांचे का निर्माण होता है। राजयोगी ने कहा कि शिक्षा ऐसा बीज है जिससे जीवन फलदार वृक्ष बन जाता है। जब तक व्यवहारिक जीवन में सेवाभाव, परोपकार, धैर्य, त्याग, उदारता, नम्रता, सहनशीलता, सत्यता, पवित्रता आदि सदगुणी फल नही आते तब तक हमारी शिक्षा अधूरी है। व्यक्तिगत अच्छा व बुरा व्यक्ति अपने अंदर के गुणों से बनता है। गुणवान, चरित्रवान व्यक्ति सभी को प्रिय होता है। राजयोग ब्रह्मकुमारी केन्द्र संचालिका ब्रह्मकुमारी उर्मिला बहन ने कहा कि कुसंग, सिनेमा, व्यसन, फैशन से युवा भटकता है। चरित्र व गुणवान बच्चे देश व समाज की संपत्ति है। कार्यक्रम को प्रधानाचार्य सुशीला देवी, पंकज भाई ने भी संबोधित किया। इस अवसर पर ब्रह्मकुमारी सिम्मी बहन, सुषमा जग्गा, रोशन, हरिन्द्र, राकेश शर्मा, आदि का योगदान रहा।

नैतिक शिक्षा से ही बच्चों का सर्वागीण विकास

नैतिक शिक्षा से ही बच्चों का सर्वागीण विकास

Nov 28, 02:45 am
सहारनपुर: प्रजापिता ब्रह्मकुमारी ईश्वरीय विश्वविद्यालय मुख्यालय माउंट आबू के राजयोगी ब्रह्मकुमार भगवान भाई ने कहा कि बच्चों के सर्वागीण विकास के लिए भौतिक शिक्षा के साथ साथ नैतिक शिक्षा की भी आवश्यकता है। नैतिक शिक्षा से ही बच्चों का सर्वागीण विकास संभव है।
राजयोगी भगवान भाई ने केसीसीपीटी आर्य कन्या इंटर कालेज में छात्राओं को नैतिक शिक्षा का जीवन में महत्व बताते हुए कहा कि शैक्षिक जगत में विद्यार्थियों को नैतिक मूल्यों को जीवन में धारण करने की प्रेरणा देना आज की आवश्यकता है। नैतिक मूल्यों की कमी व्यक्तिगत, सामाजिक, पारिवारिक, राष्ट्रीय एवं अंतर्राष्ट्रीय समस्याओं का मूल कारण है। विद्यार्थियों का मूल्यांकन आचरण, अनुसरण, लेखन, व्यावहारिक ज्ञान एवं अन्य की तरफ प्रेरणा देने की आवश्यकता है। ज्ञान की व्याख्या करते हुए उन्होंने कहा कि जो शिक्षा विद्यार्थियों को अंधकार से प्रकाश तथा असत्य से सत्य व बंधनों से मुक्ति की ओर ले जाएं सच्ची शिक्षा है। समाज अमूर्त है और प्रेम, सदभावना, भाईचारा,नैतिकता एवं मानवीय मूल्यों से ही संचालित होता है। एक प्रगतिशील एवं श्रेष्ठ समाज इन्हीं मूल्यों से परिभाषित होता है। शैक्षिक जगत से ही समाज के आधारभूत ढांचे का निर्माण होता है। राजयोगी ने कहा कि शिक्षा ऐसा बीज है जिससे जीवन फलदार वृक्ष बन जाता है। जब तक व्यवहारिक जीवन में सेवाभाव, परोपकार, धैर्य, त्याग, उदारता, नम्रता, सहनशीलता, सत्यता, पवित्रता आदि सदगुणी फल नही आते तब तक हमारी शिक्षा अधूरी है। व्यक्तिगत अच्छा व बुरा व्यक्ति अपने अंदर के गुणों से बनता है। गुणवान, चरित्रवान व्यक्ति सभी को प्रिय होता है। राजयोग ब्रह्मकुमारी केन्द्र संचालिका ब्रह्मकुमारी उर्मिला बहन ने कहा कि कुसंग, सिनेमा, व्यसन, फैशन से युवा भटकता है। चरित्र व गुणवान बच्चे देश व समाज की संपत्ति है। कार्यक्रम को प्रधानाचार्य सुशीला देवी, पंकज भाई ने भी संबोधित किया। इस अवसर पर ब्रह्मकुमारी सिम्मी बहन, सुषमा जग्गा, रोशन, हरिन्द्र, राकेश शर्मा, आदि का योगदान रहा।

नैतिक शिक्षा से ही बच्चों का सर्वागीण विकास

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Nov 28, 02:45 am
सहारनपुर: प्रजापिता ब्रह्मकुमारी ईश्वरीय विश्वविद्यालय मुख्यालय माउंट आबू के राजयोगी ब्रह्मकुमार भगवान भाई ने कहा कि बच्चों के सर्वागीण विकास के लिए भौतिक शिक्षा के साथ साथ नैतिक शिक्षा की भी आवश्यकता है। नैतिक शिक्षा से ही बच्चों का सर्वागीण विकास संभव है।
राजयोगी भगवान भाई ने केसीसीपीटी आर्य कन्या इंटर कालेज में छात्राओं को नैतिक शिक्षा का जीवन में महत्व बताते हुए कहा कि शैक्षिक जगत में विद्यार्थियों को नैतिक मूल्यों को जीवन में धारण करने की प्रेरणा देना आज की आवश्यकता है। नैतिक मूल्यों की कमी व्यक्तिगत, सामाजिक, पारिवारिक, राष्ट्रीय एवं अंतर्राष्ट्रीय समस्याओं का मूल कारण है। विद्यार्थियों का मूल्यांकन आचरण, अनुसरण, लेखन, व्यावहारिक ज्ञान एवं अन्य की तरफ प्रेरणा देने की आवश्यकता है। ज्ञान की व्याख्या करते हुए उन्होंने कहा कि जो शिक्षा विद्यार्थियों को अंधकार से प्रकाश तथा असत्य से सत्य व बंधनों से मुक्ति की ओर ले जाएं सच्ची शिक्षा है। समाज अमूर्त है और प्रेम, सदभावना, भाईचारा,नैतिकता एवं मानवीय मूल्यों से ही संचालित होता है। एक प्रगतिशील एवं श्रेष्ठ समाज इन्हीं मूल्यों से परिभाषित होता है। शैक्षिक जगत से ही समाज के आधारभूत ढांचे का निर्माण होता है। राजयोगी ने कहा कि शिक्षा ऐसा बीज है जिससे जीवन फलदार वृक्ष बन जाता है। जब तक व्यवहारिक जीवन में सेवाभाव, परोपकार, धैर्य, त्याग, उदारता, नम्रता, सहनशीलता, सत्यता, पवित्रता आदि सदगुणी फल नही आते तब तक हमारी शिक्षा अधूरी है। व्यक्तिगत अच्छा व बुरा व्यक्ति अपने अंदर के गुणों से बनता है। गुणवान, चरित्रवान व्यक्ति सभी को प्रिय होता है। राजयोग ब्रह्मकुमारी केन्द्र संचालिका ब्रह्मकुमारी उर्मिला बहन ने कहा कि कुसंग, सिनेमा, व्यसन, फैशन से युवा भटकता है। चरित्र व गुणवान बच्चे देश व समाज की संपत्ति है। कार्यक्रम को प्रधानाचार्य सुशीला देवी, पंकज भाई ने भी संबोधित किया। इस अवसर पर ब्रह्मकुमारी सिम्मी बहन, सुषमा जग्गा, रोशन, हरिन्द्र, राकेश शर्मा, आदि का योगदान रहा।

नैतिक शिक्षा से ही बच्चों का सर्वागीण विकास

नैतिक शिक्षा से ही बच्चों का सर्वागीण विकास

Updated on: Wed, 28 Nov 2012 02:46 AM (IST)
  
नैतिक शिक्षा से ही बच्चों का सर्वागीण विकास
सहारनपुर: प्रजापिता ब्रह्मकुमारी ईश्वरीय विश्वविद्यालय मुख्यालय माउंट आबू के राजयोगी ब्रह्मकुमार भगवान भाई ने कहा कि बच्चों के सर्वागीण विकास के लिए भौतिक शिक्षा के साथ साथ नैतिक शिक्षा की भी आवश्यकता है। नैतिक शिक्षा से ही बच्चों का सर्वागीण विकास संभव है।
राजयोगी भगवान भाई ने केसीसीपीटी आर्य कन्या इंटर कालेज में छात्राओं को नैतिक शिक्षा का जीवन में महत्व बताते हुए कहा कि शैक्षिक जगत में विद्यार्थियों को नैतिक मूल्यों को जीवन में धारण करने की प्रेरणा देना आज की आवश्यकता है। नैतिक मूल्यों की कमी व्यक्तिगत, सामाजिक, पारिवारिक, राष्ट्रीय एवं अंतर्राष्ट्रीय समस्याओं का मूल कारण है। विद्यार्थियों का मूल्यांकन आचरण, अनुसरण, लेखन, व्यावहारिक ज्ञान एवं अन्य की तरफ प्रेरणा देने की आवश्यकता है। ज्ञान की व्याख्या करते हुए उन्होंने कहा कि जो शिक्षा विद्यार्थियों को अंधकार से प्रकाश तथा असत्य से सत्य व बंधनों से मुक्ति की ओर ले जाएं सच्ची शिक्षा है। समाज अमूर्त है और प्रेम, सदभावना, भाईचारा,नैतिकता एवं मानवीय मूल्यों से ही संचालित होता है। एक प्रगतिशील एवं श्रेष्ठ समाज इन्हीं मूल्यों से परिभाषित होता है। शैक्षिक जगत से ही समाज के आधारभूत ढांचे का निर्माण होता है। राजयोगी ने कहा कि शिक्षा ऐसा बीज है जिससे जीवन फलदार वृक्ष बन जाता है। जब तक व्यवहारिक जीवन में सेवाभाव, परोपकार, धैर्य, त्याग, उदारता, नम्रता, सहनशीलता, सत्यता, पवित्रता आदि सदगुणी फल नही आते तब तक हमारी शिक्षा अधूरी है। व्यक्तिगत अच्छा व बुरा व्यक्ति अपने अंदर के गुणों से बनता है। गुणवान, चरित्रवान व्यक्ति सभी को प्रिय होता है। राजयोग ब्रह्मकुमारी केन्द्र संचालिका ब्रह्मकुमारी उर्मिला बहन ने कहा कि कुसंग, सिनेमा, व्यसन, फैशन से युवा भटकता है। चरित्र व गुणवान बच्चे देश व समाज की संपत्ति है। कार्यक्रम को प्रधानाचार्य सुशीला देवी, पंकज भाई ने भी संबोधित किया। इस अवसर पर ब्रह्मकुमारी सिम्मी बहन, सुषमा जग्गा, रोशन, हरिन्द्र, राकेश शर्मा, आदि का योगदान रहा।

नैतिक शिक्षा की भी आवश्यकता’

नैतिक शिक्षा की भी आवश्यकता’
बदनोर. ब\'चों के सर्वांगीण विकास के लिए नैतिक शिक्षा की भी आवश्यकता है। नैतिक शिक्षा से ही सर्वांगीण विकास संभव है। यह विचार प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्वविद्यालय माउंट आबू मुख्यालय से आए राजयोगी भगवान भाई ने राउप्रावि में नैतिक शिक्षा विषय पर व्यक्त किए। भगवान भाई ने कहा कि शैक्षणिक जगत में विद्यार्थियों के लिए नैतिक मूल्यों को जीवन में धारण करने की प्रेरणा देना आज की आवश्यकता है। प्रधानाध्यापक नानूराम खटीक ने कहा कि मूल्य शिक्षा से व्यक्तित्व महान बन सकता है। कार्यक्रम के दौरान जमुना शंकर शर्मा, अजय सिंह राव, जितेंद्र व्यास, शशि संचेती, उर्मिला पारीक व मोहम्मद इस्लाम आदि उपस्थित थे।

खुद आदर्श बनें, तब बनेगा आदर्श समाज

खुद आदर्श बनें, तब बनेगा आदर्श समाज

Matrix News | Jan 11, 2012, 01:53AM IST
 

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भास्कर न्यूज त्न बहादुरगढ़
प्रजापिता ब्रह्मकुमारी ईश्वरीय विश्वविद्यालय के मुख्यालय माउंट आबू से आए भगवान भाई ने कहा कि आज की बिगड़ती परिस्थिति को देखते हुए समाज को सुधारने की आवश्यकता है।
उन्होंने कहा कि वर्तमान के छात्र भावी समाज है। अगर भावी समाज को आदर्श बनाना हैं तो छात्राओं को भौतिक शिक्षा के साथ नैतिक आचरण पर भी उनके ऊपर ध्यान देने की आवश्यकता है।
भगवान भाई ने पीडीएम पॉलीटेक्नीक कॉलेज में मंगलवार को टीचिंग स्टाफ और छात्र-छात्राओं के बीच विचार गोष्ठी में कही। उन्होंने कहा कि शिक्षक वही है, जो अपने जीवन की धारणाओं से दूसरों को शिक्षा
देता है।
शिक्षकों को केवल पाठ पढ़ाने वाला नहीं बल्कि सारे समाज को श्रेष्ठ मार्ग दर्शन देने वाला होना चाहिए है। उन्होंने कहा कि शिक्षक होने के नाते हमारे अंदर सद्गुण होना आवश्यक है।
किताबी ज्ञान के साथ-साथ बच्चों को अपने जीवन की धारणाओं के आधार पर नैतिक पाठ भी आवश्यक पढ़ाना चाहिए। शिक्षकों के हाव-भाव, उठना, बैठना, चलना व व्यवहार करना इन बातों का असर भी बच्चों के जीवन में पड़ता है। वहीं स्थानीय ब्रह्मकुमारी राजयोग सेवा केंद्र के संदीप भाई ने कहा कि एक दीपक से पूरा कमरा प्रकाशित होता है।
इसी तरह एक शिक्षक से हजारों बच्चे शिक्षित होते हैं। कॉलेज के प्राचार्य एमएम शर्मा ने कहा कि वर्तमान की परिस्थितियों को परिवर्तन करने की जिम्मेवारी शिक्षकों की है। शिक्षकों को स्वयं के आचरण पर ध्यान देने के लिए आध्यात्मिक ज्ञान के साथ-साथ तनाव मुक्त रहने की आवश्यकता है। इस मौके पर ओपी रुहिल व राजपाल मौजूद रहे।

नैतिक शिक्षा से ही बच्चों का सर्वागीण विकास

नैतिक शिक्षा से ही बच्चों का सर्वागीण विकास

Wednesday, 28 November 2012 02:20
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सहारनपुर: प्रजापिता ब्रह्मकुमारी ईश्वरीय विश्वविद्यालय मुख्यालय माउंट आबू के राजयोगी ब्रह्मकुमार भगवान भाई ने कहा कि बच्चों के सर्वागीण विकास के लिए भौतिक शिक्षा के साथ साथ नैतिक शिक्षा की भी आवश्यकता है। नैतिक शिक्षा से ही बच्चों का सर्वागीण विकास संभव है।
राजयोगी भगवान भाई ने केसीसीपीटी आर्य कन्या इंटर कालेज में छात्राओं को नैतिक शिक्षा का जीवन में महत्व बताते हुए कहा कि शैक्षिक जगत में विद्यार्थियों को नैतिक मूल्यों को जीवन में धारण करने की प्रेरणा देना आज की आवश्यकता है। नैतिक मूल्यों की कमी व्यक्तिगत, सामाजिक, पारिवारिक, राष्ट्रीय एवं अंतर्राष्ट्रीय समस्याओं का मूल कारण है। विद्यार्थियों का मूल्यांकन आचरण, अनुसरण, लेखन, व्यावहारिक ज्ञान एवं अन्य की तरफ प्रेरणा देने की आवश्यकता है। ज्ञान की व्याख्या करते हुए उन्होंने कहा कि जो शिक्षा विद्यार्थियों को अंधकार से प्रकाश तथा असत्य से सत्य व बंधनों से मुक्ति की ओर ले जाएं सच्ची शिक्षा है। समाज अमूर्त है और प्रेम, सदभावना, भाईचारा,नैतिकता एवं मानवीय मूल्यों से ही संचालित होता है। एक प्रगतिशील एवं श्रेष्ठ समाज इन्हीं मूल्यों से परिभाषित होता है। शैक्षिक जगत से ही समाज के आधारभूत ढांचे का निर्माण होता है। राजयोगी ने कहा कि शिक्षा ऐसा बीज है जिससे जीवन फलदार वृक्ष बन जाता है। जब तक व्यवहारिक जीवन में सेवाभाव, परोपकार, धैर्य, त्याग, उदारता, नम्रता, सहनशीलता, सत्यता, पवित्रता आदि सदगुणी फल नही आते तब तक हमारी शिक्षा अधूरी है। व्यक्तिगत अच्छा व बुरा व्यक्ति अपने अंदर के गुणों से बनता है। गुणवान, चरित्रवान व्यक्ति सभी को प्रिय होता है। राजयोग ब्रह्मकुमारी केन्द्र संचालिका ब्रह्मकुमारी उर्मिला बहन ने कहा कि कुसंग, सिनेमा, व्यसन, फैशन से युवा भटकता है। चरित्र व गुणवान बच्चे देश व समाज की संपत्ति है। कार्यक्रम को प्रधानाचार्य सुशीला देवी, पंकज भाई ने भी संबोधित किया। इस अवसर पर ब्रह्मकुमारी सिम्मी बहन, सुषमा जग्गा, रोशन, हरिन्द्र, राकेश शर्मा, आदि का योगदान रहा।