Thursday, December 29, 2011

सकारात्मक सोच वाला व्यक्ति मानसिक एवं शारीरिक रूप से सदैव स्वस्थ रहता है। नकारात्मक सोच ही टेंशन की मूल जड़ है जिससे अनेक प्रकार के मानसिक व शारीरिक र









सकारात्मक सोच वाला व्यक्ति मानसिक एवं शारीरिक रूप से सदैव स्वस्थ रहता है। नकारात्मक सोच ही
टेंशन की मूल जड़ है जिससे अनेक प्रकार के मानसिक व शारीरिक रोग उत्पन्न होते हैं। इसलिए मनुष्य को जीवन में नकारात्मक भावों से हमेशा दुर रहना चाहिए।
यह बात ब्रह्मकुमार भगवानभाई ने बुधवार को ज्ञान मार्ग स्थित ब्रह्मकुमारी संस्थान के सद्भावना सभागार में आयोजित आध्यात्मिक सत्संग में कही। उन्होंने उपस्थितजन को न्यूटन के गति नियमों के बारे में भी
समझाया। उन्होंने कहा हमारी स्मृति और वृत्ति ही जीवन में सुख-दु:ख का आधार है। हमें सदैव
सत्संग व आध्यात्मिक वातावरण का चुनाव करना चाहिए। इससे जीवन में हमेशा खुशी मिलती है।
कार्यक्रम के दौरान राजयोगिनी पुष्पा बहन ने सभी शिविरार्थियों को तिलक व प्रसाद प्रदान किया। उन्होंने बताया भगवान भाई ने
800 से अधिक जेलों में कार्यक्रम प्रस्तुत कर हजारों अपराधियों का जीवन सुधारने में महत्वपूर्ण भूमिका अदा की।
सभागार में बड़ी संख्या में श्रद्धालु उपस्थित थे।

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