Thursday, February 20, 2020

समाजसेवी हैं शिक्षक :- भगवान भाई


समाजसेवी हैं शिक्षक :- भगवान भाई

सिरसा 14 फरवरी (सिटी मीडिया) समाज को सुधारने व सही दिशा दिखाने के लिए आदर्श शिक्षकों की आवश्यकता है क्योंकि शिक्षक समाज शिल्पी होते हैं। उक्त उद्गार प्रजापिता ब्रह्माकुमारीज ईश्वरीय विद्यालय माऊंट आबू से पधारे ब्रह्माकुमार भगवा भाई ने स्थानीय सी-ब्लॉक स्थित सद्भावना भवन में ‘आदर्श शिक्षक’ पर शिक्षकों को सम्बोधित करते हुए व्यक्त किए। उन्होंने कहा कि वर्तमान के शिक्षक भावी समाज हैं। अगर भावी समाज को आदर्श बनाना चाहते हो तो छात्र-छात्राओं को भौतिक शिक्षा के साथ-साथ उनके नैतिक आचरण पर भी ध्यान देने की आवश्यकता है। मौजूदा समय की बिगड़ती परिस्थितियों को देखते हुए समाज-सुधार की दिशा में यह बहुत आवश्यक है। शिक्षक वही है जो अपने जीवन की धारणाओं से दूसरों को शिक्षा देता है, इन्हीं धारणाओं से विद्यार्थियों को बल मिलता है, जीवन की इन धारणाओं से वाणी, कर्म, व्यवहार और व्यक्तित्व में निखार आता है। भगवान भाई ने कहा कि शिक्षा देने के बाद भी यदि बच्चे बिगड़ रहे हों तो इसका मतलब है कि मूर्तिकार में कुछ कमी है। शिक्षक के अन्दर के संस्कारों का ही विद्यार्थी अनुकरण करते हैं। विद्यार्थियों का केवल पाठ पढ़ाने वाला शिक्षक नहीं होता बल्कि सारे समाज को मार्गदर्शन देने वाला शिक्षक होता है। शिक्षक होने के नाते हमारे अन्दर सद्गुणों का समावेश अत्यधिक आवश्यक है, आज के दौर में शिक्षा में भौतिक सुधार तो है लेकिन नैतिकता का ह्नास होता जा रहा है, इसलिए शिक्षक वर्ग अपने जीवन की धारणाओं के आधार से बच्चों को नैतिकता का पाठ भी अवश्य पढ़ाएं। भगवान भाई ने कहा कि शिक्षकों के हाव-भाव, उठने-बैठने, बोलने-चलने, व्यवहार आदि बातों का असर भी बच्चों के जीवन पर पड़ता है। इस प्रकार समाज को शिक्षित करने व उसका स्वरूप बदलने की दृष्टिकोण से स्वयं के आचरण के शिक्षा देने की परम आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि समाज को सुधारने की दिशा में शिक्षकों की अहम भूमिका है। प्राचीन भारत में स्वामी विवेकानन्द व महात्मा गांधी जैसे महापुरूष शिक्षक के रूप में जाने जाते थे। इस प्रकार आदर्श शिक्षक ही आदर्श समाज का निर्माण कर सकता है। मूल्यहीन शिक्षा से सामाजिक, मानसिक, राष्ट्रीय, अंतर्राष्ट्रीय के साथ-साथ पारिवारिक समस्याएं पैदा होती हैं। इस अवसर पर स्थानीय ब्रह्माकुमारीज सेवाकेन्द्र की संचालिका ब्रह्माकुमारी प्रीति बहन ने कहा कि एक दीपक से पूरा कमरा प्रकाशमान होता है तो क्या हम पूरे जिले को मूल्यनिष्ठ शिक्षा से प्रकाशित नहीं कर सकते? अब आवश्यकता है सेवा भाव की। उन्होंने कहा कि आचरण की शिक्षा जुबान से भी तेज होती है। टी.सी. मेहता ने कहा कि परिवर्तन की जिम्मेवारी शिक्षकों की है। शिक्षकों को स्वयं के आचरण पर ध्यान देने के लिए आध्यात्मिक ज्ञान के साथ-साथ तनावमुक्त रहने की आवश्यकता है। उन्होंने ब्रह्माकुमारीज द्वारा चलाए जा रहे इस अभियान की मुक्त कंठ से प्रंशसा की। इस अवसर पर बी.के. पालाराम, बी.के. रघु भाई, बी.के. शमां बहन ने भी अपने विचार प्रकट किए।

शिवरात्रि के आध्यात्मिक रहस्य को उजागर करते हुए कहा कि शिव त्रिकालदर्शी अखंड ज्योति स्वरुप है


शिवरात्रि कि मुबारक देते हुए ब्रह्माकुमार भगवान् भाई ने कहा कि शिवरात्रि का उत्सव स्वयं परमपिता परमात्मा के सृष्टि पर अवतरित होने की याद दिलाता है। शिवरात्रि पर सच्चा उपवास यही है कि हम परमात्मा शिव से बुद्धि योग लगाकर उनके समीप रहें। उपवास का अर्थ भी होता है समीप रहना। उन्होंने कहा कि शिवरात्रि के पर्व पर जागरण सच्चा अर्थ है कि विकारों से से स्वयं को बचाया जाए।
 ब्रह्माकुमार भगवान् भाई ने शिवरात्रि के आध्यात्मिक रहस्य को उजागर करते हुए कहा कि शिव त्रिकालदर्शी अखंड ज्योति स्वरुप है। सर्व आत्माओं के पिता शिव हैं। शिव का शाब्दिक अर्थ कल्याणकर्ता है। शिव भोलेनाथ भक्तों के ऊपर शीघ्र प्रसन्न हो जाने तथा उनका कल्याण करने वाले हैं। वे पतित पावन अर्थात् पतित हुई मनुष्यात्माओं को पावन बनाने वाले तथा सबके सद्गतिदाता है।
उन्होंने कहा कि आध्यात्मिक अर्थ में रात्रि आत्माओं के अज्ञान-अंधकार, विकारों अथवा आसुरी लक्षणों का प्रतीक है। इसी समय परमात्मा प्रकट होकर ज्ञान का प्रकाश आत्माओं को देकर उन्हें विकारों से मुक्त करवाते हैं। सुखों के भंडारों से भरपूर करते हैं। उन्होंने कहा कि परमात्मा ही ज्ञान सागर है जो मानव मात्र को सत्य ज्ञान द्वारा अन्धकार से प्रकाश की ओर अथवा असत्य से सत्य की ओर ले जाते हैं।
बी के शशि बहन जी ने कहा कि अब सभी को वापिस घर जाने कि याद दिलाती है शिवरात्रि

 ब्रह्माकुमार भगवान् भाई  ने कहा कि शिवरात्रि परमात्मा के अवतरण का पर्व है। शिवरात्रि पर ही परमात्मा इस धरा पर अवतरित हुए थे। इसी उपलक्ष्य में हम महाशिवरात्रि मनाते हैं। भगवान शिव अज्ञान एवं अंधकार मिटाने के लिए ही इस धरा पर अवतरित हुए थे। उन्होंने भगवान शिव की प्रतिमा पर बेल, धतूरा, बेल पत्र, गन्ना आदि चढ़ाए जाने का आध्यात्मिक रहस्य बताया।
बी के रजनी बहन ने  कहा कि भगवान शिव ने समुद्र मंथन के समय निकला हुआ विष स्वयं धारण किया था। यदि वह विष पृथ्वी पर डाल दिया जाता तो प्रलय हो सकती थी। भगवान शिव द्वारा विष कंठ में धारण कर लिया गय जिससे वह नीलकंठ कहलाए। बेल, धतूरा, बेलपत्र आदि विष को कम करते हैं। यही कारण है कि भगवान शिव को बेल पत्र, धतूरा आदि चढ़ाया जाता है।

सकारात्मक विचारों से आंतरिक मन में स्थिरता आती है

संसू, रामामंडी : ब्रह्मकुमारी आश्रम में अध्यात्मिक विषय पर एक सेमिनार करवाया गया। इस सेमिनार का उद्घाटन डॉ. केके गुप्ता तथा भूषण कुमार रामे वालों ने ज्योति प्रज्ज्वलित करके किया। सेमिनार में विशेष रूप से उपस्थित माउंट आबू से आए भगवान भाई ने लोगों को संबोधित करते हुए कहा कि नकारात्मक सोच से ही अनेक समस्याएं पैदा होती है, जिससे जीवन में तनाव उत्पन्न होता है। इसलिए हर परिस्थिति में सकारात्मक नजरिया रखें जिससे तनाव से मुक्त हो सकेंगे। उन्होंने कहा कि विचारों से स्मृति, दृष्टि, वृत्ति और दृष्टिकोण बनता है अगर विचार नकारात्मक है तो व्यवहार भी नकारात्मक होगा। उन्होंने विचारों को सकारात्मक बनाने पर जोर देते हुए कहा की सकारात्मक सोच से जीवन की सभी समस्या समाप्त हो जाएगी। सकारात्मक विचारों से व्यवहार भी सकारात्मक होगा। आत्म बल और मनोबल बढ़ेगा, जिससे व्यवहार में निखार आ जाएगा। उन्होंने मन को एकाग्र करने के लिए योग और ध्यान करने की सलाह दी। भगवान भाई ने कहा कि सकारात्मक विचारों से आंतरिक मन में स्थिरता आती है। मन एकाग्र हो जाता है, मन में सशक्तिकरण आ जाता है। एकाग्र मन शांति और सुख का आधार बन जाता है। उन्होंने कहा कि तनाव मुक्त होने के लिए जीवन के हर क्षण को सकारात्मक विचारों से सींचने का प्रयास करें। उन्होंने आध्यात्मिक ज्ञान को सकारात्मक विचारों का स्त्रोत बताते हुए कहाकि जब तक हम अपने जीवन में आध्यात्मिकता को नहीं अपनाते तब तक अपने विचारों में बदलाव नहीं आएगा। उन्होंने आध्यात्मिकता की परिभाषा बताते हुए कहा कि स्वयं के बारे में जानना, कर्म गति को जानना, सृष्टि रचयिता को जानना ही वास्तविक आध्यात्मिकता है। इस मौके पर ब्रह्मकुमारी आश्रम की संचालिका बहन मधु दीदी बहन शीतल दीदी के अलावा बड़ी संख्या में लोग उपस्थित थे ।