एक आदर्श समाज में नैतिक सामाजिक व आध्यात्मिक मूल्य प्रचलित होते है। नैतिक मूल्यों का हमें सम्मान करना चाहिए। मूल्य शिक्षा द्वारा ही बेहतर जीवन जीने की प्रेरणा मिलती है। उक्त उदगार प्रजापिता ब्रम्हकुमारी ईश्वरीय विश्व विद्यालय मांउट आबु से पधारे हुए राजयोगी ब्रम्हकुमार भगवान भाई ने कहे। वे शारदा विद्या निकेतन और सरस्वती विद्या मंदिर में छात्र छात्राओं को संबोधित करते हुए बोल रहे थे।
भगवान भाई ने कहा लालच भ्रम, बेईमानी, चोरी, ठगी, नकारात्मक विचार मनुष्य को नैतिकता के विरूद्घ आचरण करने के लिए उकराता है। उन्होने बताया कि हमें अनैतिकता का मार्ग छोडकर नैतिकता के तरफ जाना है। जीवन में नैतिक शिक्षा आचरण में लाना ही शिक्षा का मुल उददेश्य है। नैतिक मूल्यों की धारण से आंतरिक शक्तियों का विकास होता है और आत्मबल, मनोबल बढता है। उन्होने कहा कि नैतिक मूल्यों से युक्त जीवन ही सभी को पसंद आता है। सदगुणों की धारणा से ही हम प्रशंसा के पान बन सकते है। उन्होने बताया कि मूल्य ही जीवन की सुदंरता और वरदान है। जीवन में धारण किये हुए मूल्य ही हमारे श्रैष्ठ चरित्र की निशानी है। मूल्यों को जीवन में धारण करने की हमारे मन में आस्था निर्माण करने की आवश्यकता है।
भगवान भाई ने कहा कि मूल्य ही हमारे जीवन की अनमोल निधि है। मूल्यों के आधार से हम अपने जीवन में खुशी प्रदान कर सकते है। मूल्य ही हमारे सच्चे मित्र है। उन्होने आगे बताया कि शिक्षा उददेश्य बंधनों से मुक्ति के तरफ से जाना रही है नैतिक शिक्षा द्वारा प्राप्त मुल्यों के आधार से ही हम निर्वधंन तथा स्वालंबी बन सकत है। मूल्यों के आधार से ही यह चलता है। उन्होने बताया कि अगर मूल्यों का हास होगा तो यह संसार विरान हो जायेगा।
राक्षसी प्रवृत्ति द्वारा जीवन दिन प्रति दिन दुखी अशांत बनता जायेगा। उन्होने बताया कि अगर जीवन मूल्यों को नष्टï करोगे तो हमारा जीवन भी ऐसा ही व्यर्थ नष्टï हो जायेगा। जो मूल्यों की रक्षा करेगा उसकी ही रक्षा मूल्य करेंगे अर्थात वह व्यक्ति अमरत्वा को प्राप्त करेगा। उन्होने बताया कि अमर बनना ही शिक्षा का मूल उददेश्य है। स्थानीय ब्रम्हकुमारीय की संचालिका बीके ज्योति बहन ने सभी को ब्रम्हकुमारी ईश्वरीय विश्व विद्यालय का परिचय दिया उन्होने बताया कि आधयात्मीकता नही अपनाने का मतलब जीवन में मानवीय नैतिक मुल्य नही अपनाना है।
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